पौष्टिक एवं संतुलित आहार कब और किस प्रकार ले

 

पोषण युक्त आहार से तात्पर्य है कि शरीर को पुष्ट करने वाले पोषक तत्व आहार में सम्मिलित हो और संतुलित आहार से तात्पर्य  ऐसे आहार से है जिसमें शामिल खाद्य पदार्थों में कार्बोहाइड्रेट,  प्रोटीन,  वसा, विटामिन, फाइबर,  खनिज पदार्थ आदि का सही अनुपात हो इसलिए आवश्यकता आहार में कमी लाने की नहीं बल्कि सेहत को नुकसान पहुंचाने वाले आहार को कम करने की है।और इसके लिए आहार में संतुलन बनाना भी जरूरी है।
 
हमारी शारीरिक जरूरतें कई कारणों पर निर्भर करती हैं, जैसे आयु, लिंग जलवायु, शारीरिक कार्य आदि। हमारा पौष्टिक आहार भी इन्हीं तथ्यों पर आधारित है। प्रतिदिन की सामान्य दिनचर्या के लिए शिशुओं  तथा वृद्ध व्यक्तियों को लगभग 1600 किलो कैलोरी, बड़े बच्चों को लगभग 2200 किलो कैलोरी और जवान व्यक्तियों को लगभग 2800 किलो कैलोरी ऊर्जा की आवश्यकता होती है। एक औसत व्यक्ति को जीवित रहने के लिए 1700 किलो कैलोरी और स्त्री को 1450 किलो कैलोरी की आवश्यकता होती है।
 
 
75% लोग जरूरत से ज्यादा नमक का सेवन करते हैं। नमक का सेवन ज्यादा करने से दिन-प्रतिदिन रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है। यदि हम भोजन में नमक की मात्रा 35% कम कर दे तो कई जिंदगियों को बचा सकते हैं।  उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने का यह बेहतरीन विकल्प है।आहार विशेषज्ञों के अनुसार एक व्यस्क के शरीर में एक दिन में 2-3 ग्राम नमक की आवश्यकता होती है। नमक में मौजूद सोडियम व पोटैशियम की मात्रा मस्तिष्क को सुचारू रूप से चलाने के लिए जरूरी है, लेकिन उच्च रक्तचाप में अधिक नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।
 
 नमक के साथ साथ चीनी की मात्रा भी बढ़ती जा रही है। नियमित पेय पदार्थ जैसे चाय, कॉफी, सॉफ्ट ड्रिंक,डिब्बाबंद जूस एवं अन्य मीठी चीजें हमारे शरीर में अनजाने में बहुत ज्यादा शर्करा पहुंचा रही है, जिसके कारण डायबिटीज, उच्च रक्तचाप बहुत सारे रोग उत्पन्न होने लगते हैं।हर व्यक्ति को अपने आहार में 24 से 30% वसा ग्रहण करनी चाहिए जिसमें वनस्पति तेल व अन्य स्त्रोत जैसे दूध, विटामिन डी,ए,  ई, के आदि घुलनशील होते हैं। इसके अलावा मूंगफली, तिल, सरसों, नारियल, अलसी  जैतून आदि के तिलों का उपयोग अपने आहार में शामिल करना चाहिए।
 
फल व सब्जियों में विटामिन, मिनरल्स, एंटी ऑक्सीडेंट व फाइबर भरपूर मात्रा में होते हैं। इसमें पौष्टिक तत्व बहुत सारे मौजूद होते हैं जो शरीर को फायदा पहुंचाते हैं। इसके अलावा अंकुरित आहार भी बहुत पौष्टिक और फायदेमंद होता है। यह धीरे-धीरे पचता है और फाइबर की अधिकता के कारण इसमें पेट देर तक भरा महसूस होता है और रक्तचाप और इंसुलिन का स्तर सही रहता है। नुकसान पहुंचाने वाले कार्बोहाइड्रेट जैसे मैदा, परिष्कृत चीनी, पालिश  वाले चावल व दालों में हर स्तर पर फाइबर और पोषक तत्वों की मात्रा घटती जाती है।आहार में पोषक तत्वों को संतुलित करने के लिए अपने आहार ग्रहण करने की आदतों को भी सुधारना चाहिए।  हर समय कुछ ना कुछ खाते रहने की आदतों से भी बचें। सुबह दोपहर और शाम को  लिए जाने वाले आहार की मात्रा निर्धारित कर ले और अपने शारीरिक आवश्यकता के अनुसार ही भोजन करें। जिन चीजों को खाने से हमारी सेहत बिगड़ती है, इनसे परहेज करें। भोजन को यथासंभव अच्छे से चबाकर ग्रहण करें। इससे हमारे भोजन में लार का सम्मिश्रण होता है और वह आसानी से पचता है।भोजन में लार के सम्मिश्रण से रासायनिक तत्वों की क्रिया संपन्न होती है जिससे हमारा भोजन बहुत लाभकारी होता है, जबकि जल्दबाजी से किया जाने वाला भोजन न तो अच्छे से पचता है और ना ही उसमें मौजूद पोषक तत्वों का लाभ होता है। इसलिए भोजन को चबाकर करना जरूरी है।  
 
 उसी तरह पानी भी घूंट घूंट करके पीना फायदेमंद है। लेकिन भोजन के आधे घंटे बाद पानी पीना चाहिए और फिर थोड़ी थोड़ी देर बाद आवश्यकतानुसार पानी पीते रहना चाहिए। इस तरह पौष्टिकता युक्त  भोजन व पेय पदार्थ में संतुलन बिठाकर हम अपने आहार संबंधी पोषण की आवश्यकता को पूरा कर सकते हैं और खान-पान संबंधी आदतों को सुधार कर अपने शरीर को स्वस्थ भी रख सकते हैं।

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